Carburetor क्या है ? ये कैसे काम करता है ?

Carburetor क्या है ?

Carburetor क्या है ? ये कैसे काम करता है ? भाग | वोर्किंग | इसके प्रकार

Carburetor In Hindi Information

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हेलो दोस्तों स्वागत है आप सभी का एक और नयी पोस्ट में । क्या आप जानते हैं कि कारबुरेटर क्या है । और कैसे कार्य करता है । चलिए जानते हैं Carburetor के बारे में विस्तार  से कि कारबुरेटर क्या है । एक इंजन में ये इसकी क्या भूमिका है ।

Carburetor automobile का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है । इसका इस्तेमाल petrol गाड़ियों में किया जाता है । Petrol गाड़ियों में fuel का मिश्रण engine cylinder में न होते हुए cylinder के बाहर होता है, इसी कारण से petrol गाड़ियों में carburetor use किया जाता है ।

carburetor क्या है

दोस्तों कारबुरेटर एक ऐसा  मेकेनिज़्म है । जो कि पैट्रोल इंजन में उपयोग किया जाता है । इसे इंजन के इनलेट मेनीफोल्ड पर लगाया जाता है । इंजन की ईंधन प्रणाली में कारबुरेटर का महत्वपूर्ण कार्य है । ये पेट्रोल और हवा के मिश्रण को बनाकर इंजन के cumbustion चेम्बर में भेजता है । और एक इकाई के रूप में कार्य करता है ।

ये पैट्रोल को छोटे छोटे कणों में विभाजित करके उसे हवा के साथ मिलकर उसे गैसोलीन  रूप में मिश्रण को cumbustion चेम्बर में भेजता है ।

कारबुरेटर पैट्रोल और हवा के मिश्रण को एक उचित अनुपात में बनाता है । जो  तुरंत उसे जलने योग्य बनाता है । और इंजन की अलग अलग चाल पर उसे आवश्यकतानुसार उसे उचित मात्रा में मिश्रण देता है ।

आप सभी भली भाँती जानते है । कि इंजन को अलग अलग गति से चलाया जाता है । कभी तेज और कभी धीमा जब गाडी की गति धीमी होती है । जब इंजन धीमी गति पर रहता है ।

तो उस पर लोड नहीं रहता है । उस समय ऐसे मिश्रण की जरूरत होती है । जिसमें पैट्रोल की मात्रा कम हो और हवा की मात्रा अधिक हो ठीक उसके विपरीत जब में तेज गति से चलता है ।

तो उस समय ऐसे मिश्रण की जरूत होती है । जिसमें पैट्रोल की मात्रा अधिक हो और हवा की मात्रा कम हो । क्यूंकि इस समय इंजन पर लोड अधिक रहता है । उस समय पर अलग अनुपात में मिश्रण ओर जब गति तेज हो उस समय पर अलग अनुपात में मिश्रण देना कारबुरेटर का कार्य होता है ।

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कार्बोरेटर के कुछ मुख्य पार्ट्स

  • Throttle valve
  • Choke valve
  • Venturi tube
  • Idling system
  • Idle and Transfer port .
  • Float chamber
  • Metering system
  • Strainer

Carburetor की Working | कार्य विधि

सबसे पहले strainer की मदद से float चैम्बर में fuel पहुंचाया जाता है । Strainer एक filter की तरह काम करता है जिससे कोई कचरा या डस्ट आगे न जा सकते ताकि वो आगे fuel को रूकावट न करे । Float का काम Float chamber में fuel की मात्रा को मेन्टेन रखना है , जैसे ही फ्यूल की मात्रा काम होती है Float खुल जाता है और फ्यूल आने लगता है, fuel की सेट की हुई position पे पहुंचने के बाद फ्यूल सप्लाई रुक जाती है फ्लोट बंद हो जाता है ।

Fuel discharge nozzle की मदद से float chamber और venturi tube आपस में जुडी होती है । Fuel सप्लाई nozzle का एक सिरा Float chamber के bottom वाले हिस्से से जुड़ा होता है और दूसरा हिस्सा venturi के ऊपरी हिस्से से थोड़ा ऊपर जुड़ा होता है ताकि कभी overflow होने की स्थिति में level maintain रहे। Suction stroke के समय venturi tube की मदद से हवा अंदर आती है ।

Venturi tube के लगातार घटते हुए area के कारण velocity बढ़ती जाती है और pressure कम होता जाता है और venturi के throat पर area भी minimum होता है । Fuel सप्लाई nozzle, venturi के throat हिस्से से जुड़ा होता है, high velocity होने के कारण throat area पे pressure float chamber के pressure से कम हो जाता है और इसी pressure difference को हम carburetion depression भी कहते है ।

यही carburation depression एक force की तरह काम करता है, जो की fuel supply tube की मदद से fuel को float chamber से venturi tube तक पहुँचता है और इससे हवा और fuel का आपस में सही रूप से मिश्रण होता है । Fuel-air के मिश्रण का ratio (अनुपात) metering system और discharge jet के साइज पे निर्भर करता है । Throttle valve की मदद से यह mixture cylinder में पहुँचता है। Spark Ignition इंजन में quantity (मात्रा) का बहुत महत्वपूर्ण रोल है

और यही मात्रा throttle valve से control होती और और उसी के हिसाब से हमे power भी मिलती है । Idling और rich mixture के जरूरत के समय extra fuel idling system के द्वारा venturi tube में पहुंचाया जाता है ।

Carburetor के प्रकार  | Types of Carburetor

मोटर गाड़ियों में Carburetor फिट करने के अलग अलग तरीके हैं । इसके आधार पर कुछ कारबुरेटर निम्नलिखित हैं ।

अप ड्राफ्ट carburetor –

इनमें हवा का प्रवेश नीचे से नीचे से ऊपर की ओर होता है । ओर पैट्रोल को खींचकर सिलेंडर में ले जाती है । मेन नोज़ल का मुंह ऊपर को रहता है । इनमें एक्सिलरेशन पम्प नहीं रहता है ।

इनको इनलेट मेनीफोल्ड के नीचे फिट किया जाता है । ये नीचे की और हवा खींचते हैं । जो ऊपर जाकर पैट्रोल को मैं नोज़ल के साथ सिलेंडर में ले जाती है । पर मेन नोज़ल का मुहं ऊपर की और रहता है ।

इस कारबुरेटर में एक्सिलरेशन पम्प की वयस्था नहीं रहती है ।   इनको हलके इंजनों में प्रयोग किया जाता है ।

डाउन ड्राफ्ट Carburetor –

Up draught carburetor की समस्या को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है, इसमें हवा और मिक्सचर का बहाव downward डायरेक्शन (दिशा) में होता है। इसमें एयर फ्रिक्शन के कारण फ्यूल हवा के साथ नहीं बहता है और हवा की काम तीव्रता होने पर भी ग्रेविटी के कारण आसानी से इंजन सिलिंडर तक mixture पहुंच जाता है । इसमें इंजन के बड़े throat एरिया और mixing tube होने के कारण इसका use high speed इंजन में किया जा सकता है ।

हॉरिजॉन्टल Carburetor –

ये इनलेट मेनीफोल्ड के किनारे पर लगाया जाता है । इसके बाहरी सिरे पर चोक वाल्व लगाया जाता है । इसमें भी मेन नोज़ल वेंचुरी के ऊपर ही लगायी जाती है । ये किनारे से हवा को खींचकर सिलेंडर तक पंहुचाता है ।

ये एग्जॉस्ट मेनीफोल्ड से हीट प्राप्त करता है । जिससे पैट्रोल तुरंत गैस के रूप में परिवर्तित हो जाता है ।

उधारण से समझिये

मान लीजिये हमारा शरीर कार्बोरेटर है अगर हम अपनी सांस को रोक लेते है तो हमारा दम घुटने लग जाता है और हमारा शरीर कोशिस करता है अपने अन्दर ऑक्सीजन ग्रहण करने की |

उसी प्रकार कार्बोरेटर है अगर इसके अन्दर हवा Petrol के साथ नही जायेगी तो यह समस्या उत्पन कर देगा और इंजन कोशिस करेगा हवा को ग्रहण करने की |

कार्बोरेटर का क्या कार्य है – HOW BIKE CARBURETOR WORKS

कार्बोरेटर  में फ़िल्टर साइड एक चोक पति लगी होती है इसका चोक पति का काम होता है हवा को कारबोरेटर में कम भेजना , जब सर्दियों में बाइक स्टार्ट नहीं होती तो हम चोक लगाते है और बाइक स्टार्ट हो जाती है एसा इसलिए होता है की चोक लगाने से हवा कार्बोरेटर में नहीं जाती |

और एक साइड कारबोरेटर में लगा होता है थ्रोटल वाल जिसे हम Race बोलते है यही थ्रोटल वाल बताता है की इंजन के अन्दर हवा और Petrol के मिक्चर को कितना भेजना है , हम जितना स्पीड बाइक को चलाते है उसी के हिसाब से थ्रोटल वाल Petrol और हवा को इंजन में भेजता है |

कार्बोरेटर  के बीच में  फ्लोटिन चेंबर होता है जिसमे एक पाइप होता है जो Petrol टैंक से जुड़ा होता है और फ्लोटिन चेंबर में Petrol जमा रहता है फ्लोटिन चेंबर में एक नीडल लगी होती है जो फ्लोटिन चेंबर के भरते ही Petrol को रोक देती है |

कार्बोरेटर  के बीच में एक पतला छेद होता है जो Air को रोकता है और सही मात्रा में आगे भेजता है जब Air आगे जाती है तो फ्लोटिन चेंबर में से  हवा के  साथ Petrol भी मिक्स होता है और जब हम बाइक में Race देते है तो Petrol और हवा इंजन में जाती है |

इसी तरीके से कार्बोरेटर काम करता है और Petrol और हवा को इंजन तक सही मात्रा में पहुचाता है |

कार्बोरेटर को कैसे साफ करें -HOW TO CLEAN CARBURETOR

कारबोरेटर को साफ़ करने के लिए आपको एक ब्रश और Petrol की जरूरत होती है |

1 . आपको कारबोरेटर में लगे दो 8 नंबर के बोल्ड को खोलना है और फ़िल्टर के साइड लगे क्लंप को खोलना है |

2 . उसके बाद आपको Race की सलाइड को खोलना है और कारबोरेटर को बाहर निकाल लेना है |

3 . उसके बाद आपको कारबोरेटर को बाहर से अच्छे से धोना है और और गंदे तेल को फेक दो |

4 . उसके बाद कारबोरेटर के कटोरी को खोलो और पिन निकालकर नीडल को निकाल लो |

5 . अब दोनों जेट को पेचकस से खोलो उनमे छेद होता है वो बिलकुल साफ़ करने है |

6 . उसके बाद आपको कारबोरेटर , और उसके नीडल ,जेट को Petrol से धोना है और फिट कर देना है वेसे ही वापिस |

कितने हजार किलोमीटर पर कारबोरेटर साफ़ करवाना चाहिए

वेसे तो हम आपको बता दे की जब तक आपकी बाइक के कारबोरेटर में कोई समस्या ना आये तब तक कारबोरेटर साफ़ नहीं करवाना चाहिए लेकिन जब कारबोरेटर में समस्या उत्पन हो जाती है तो आप इसे साफ़ करवा सकते है |

अगर हम किलोमीटर के हिसाब से बात करे तो आपको कारबोरेटर को 4000 किलोमीटर पर एक बार साफ़ करवाना चाहिए इसे आपके  कारबोरेटर में कोई समस्या नहीं आएगी और बार बार खुलेगा भी नहीं |

Conclusion – आशा करता हूँ दोस्तों कार्बोरेटर से सम्बंधित सारे सवालों का जवाब आपको मिल गया होगा। आपको Carburetor क्या है यह कैसे काम करता है वोर्किंग इसके प्रकार आपको समझ आ गये होंगे इसे शेयर जरूर करें .

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