रेलगाड़ी के अंग और उनके कार्यों का विवरण | Parts of Train and their functions

Parts of Train | हेडलाइट | लोकोमोटिव | लैडर | कपलर

ट्रेनों में विभिन्न हिस्से होते हैं, जिनमें से प्रत्येक सुरक्षित और कुशल संचालन सुनिश्चित करने के लिए विशिष्ट कार्य करता है। यहां ट्रेन के कुछ सामान्य हिस्से और उनके कार्य दिए गए हैं:

हेडलाइट

ट्रेन पर हेडलाइट कई महत्वपूर्ण कार्यों का पालन करता है:

  1. दृश्यता: हेडलाइट का प्रमुख कार्य ट्रेन के सामने ट्रैक को प्रकाशित करना है, विशेषकर रात के समय या कठिन परिस्थितियों जैसे कि कोहरे या बारिश के दौरान। इससे ट्रैक पर आगे आने वाले बाधाओं, सिग्नलों और अन्य ट्रेनों की दिखाई देती है, सुरक्षा में सुधार होता है।
  2. चेतावनी संकेत: हेडलाइट एक चेतावनी संकेत के रूप में काम करता है जो पैदल यात्रियों, वाहनों और अन्य ट्रेनों को ट्रेन के आगमन की सूचना देता है। चमकदार प्रकाश एक दृश्य संकेत के रूप में काम करता है, जो व्यक्तियों को ट्रेक्स के सामने होने वाली ट्रेन की उपस्थिति की चेतावनी देता है और उन्हें ट्रैक्स से दूर रहने के लिए प्रेरित करता है।
  3. पहचान: हेडलाइट रेलवे कर्मचारियों, स्टेशन ऑपरेटरों और रखरखाव कर्मचारियों को ट्रेन की पहचान करने में मदद करती है। विभिन्न प्रकार की ट्रेनों में विभिन्न हेडलाइट कॉन्फ़िगरेशन या रंग हो सकते हैं, जो पहचान और संचालनीय समन्वय में सहायक होते हैं।
  4. नियमित आवश्यकता: कई क्षेत्रों में, हेडलाइट का प्रयोग रेलवे सुरक्षा नियमों द्वारा अनिवार्य है। संचालन के दौरान ट्रेन को सामग्री को बेहतर सुरक्षा देने और संकेतन मानकों का पालन करने के लिए हेडलाइट प्रदर्शित करना होता है।
  5. आपातकालीन संकेतन: आपातकालीन स्थितियों में, हेडलाइट को संकेतन डिवाइस के रूप में प्रयोग किया जा सकता है ताकि जानवरों को अस्थिरता या अस्थिरता की सूचना दी जा सके। उदाहरण के लिए, यदि ट्रेन को मैकेनिकल फेल्योर होता है या ट्रैक्स पर कोई अवरोध होता है, तो क्रू इसे संशोधन के लिए संकेत करने के लिए हेडलाइट को सक्रिय कर सकते हैं।

समग्र रूप में, हेडलाइट सुरक्षा को बढ़ावा देने, अन्य लोगों को ट्रेन की उपस्थिति की चेतावनी देने, पहचान में मदद करने और नियमों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

लोकोमोटिव

लोकोमोटिव ट्रेन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो ट्रेन को आगे ले जाने के लिए शक्ति प्रदान करता है। यह ट्रेन का इंजन होता है जो ऊर्जा को ट्रेन की गति में परिवर्तित करता है।

लोकोमोटिव कई प्रकार की हो सकती हैं, जैसे कि डीजल इंजन, इलेक्ट्रिक मोटर, या भाप इंजन।

  1. ऊर्जा संचयन: लोकोमोटिव ऊर्जा संचयन करती है और इसे उसकी प्रोपेलेशन प्रणाली में प्रयोग करती है जो ट्रेन को आगे ले जाने के लिए आवश्यक है।
  2. संचार: लोकोमोटिव द्वारा प्रदान की जाने वाली ऊर्जा से, संचार और सिग्नलिंग प्रणाली को संचालित किया जाता है, जिससे अन्य ट्रेनों के साथ संचार और संचार संबंधित कार्य किए जा सकते हैं।
  3. प्रदर्शन: लोकोमोटिव के प्रदर्शन से, ट्रेन की पहचान और अग्रसर्ता का निर्धारण किया जा सकता है, ताकि रेलवे कर्मचारियों और अन्य ट्रेनों को यह पहचानने में सहायकता मिले।
  4. आधारित नियंत्रण: लोकोमोटिव ट्रेन की स्थिति को निर्धारित और नियंत्रित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले संवेदकों के साथ आधारित नियंत्रण प्रणालियों को समर्थ बनाता है।

लोकोमोटिव ट्रेन का एक महत्वपूर्ण और अनिवार्य हिस्सा है जो ट्रेन को सुरक्षित और सुचारू ढंग से आगे ले जाने के लिए जरूरी है।

कैब (Cab) और नियंत्रण स्थल (Control Station)

कैब (Cab) और नियंत्रण स्थल (Control Station) दो अहम अंग हैं जो ट्रेन के संचालन और नियंत्रण को संभालने में मदद करते हैं।

  1. कैब (Cab):
  • कैब ट्रेन के इंजन या लोकोमोटिव में स्थानित होती है।
  • इसमें ड्राइवर या इंजिनियर आसानी से संचालन के लिए बैठते हैं।
  • कैब में ट्रेन को आगे बढ़ाने और रोकने के लिए संबंधित नियंत्रणों और प्रयोग की जाती है।
  • यहां से इंजिनियर या ड्राइवर संचालित गति, ब्रेकिंग, और अन्य लोकोमोटिव कार्यों का नियंत्रण करते हैं।
  1. नियंत्रण स्थल (Control Station):
  • नियंत्रण स्थल ट्रेन स्टेशनों या रेलवे यार्डों में स्थानित होता है।
  • यहां रेलवे के कर्मचारी स्टेशन और यार्ड के संचालन को नियंत्रित करते हैं।
  • नियंत्रण स्थलों में आवश्यक उपकरण और प्रणालियाँ होती हैं जो ट्रैक्स, सिग्नल, और ट्रेनों के संचालन को संभालती हैं।
  • यहां से संचालनिक कर्मचारी ट्रेनों की आवाज़, स्थिति, और अन्य जानकारी का नियंत्रण करते हैं और रेलवे संचालन को सुनिश्चित करते हैं।

इन दोनों के मिलने से, ट्रेनों को संचालन करने और नियंत्रित करने के लिए एक संगठित और प्रभावी प्रणाली बनती है।

लैडर

लैडर (Ladder) ट्रेनों में सुरक्षा और सेवानिवृत्ति के कारण कई उपयोगों के लिए होता है। यहाँ कुछ मुख्य कारण दिए गए हैं:

  1. सुरक्षा: लैडर ट्रेन के कर्मचारियों को आसानी से ट्रेन की ऊँचाई तक पहुंचने और उतरने में मदद करता है। यह किसी आपात स्थिति में भी उन्हें ट्रेन के साथ काम करने की स्थिति में रखता है।
  2. सेवा और निरीक्षण: लैडर ट्रेन की सेवा, रखरखाव, और निरीक्षण के लिए उपयोगी होता है। इसके माध्यम से, कर्मचारी ट्रेन के ऊपरी हिस्सों तक पहुंच सकते हैं और आवश्यक काम कर सकते हैं।
  3. पहचान: ट्रेन के लिए पहचान दर्शाने के लिए लैडर का उपयोग किया जा सकता है। यह ट्रेन के स्थानीय स्थान या संग्रहण यार्ड के नाम के साथ संबंधित चिन्हों या लोगों को अधिक सुगम बना सकता है।
  4. आपूर्ति और निर्यात: लैडर का उपयोग ट्रेन के ऊपरी भाग में आवश्यक सामग्री को आपूर्ति और निर्यात करने के लिए भी किया जाता है। यह ट्रेन के शुरुआती और अंतिम अनुभागों के बीच के संपर्क को सुगम बनाता है।

इस तरह, लैडर ट्रेनों के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण होता है जो सुरक्षा, सेवा और संचालन में सहायक होता है।

कपलर

कपलर (Coupler) ट्रेनों में रेल कारों को एक-दूसरे से जोड़ने और अलग करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है जो सुनिश्चित करता है कि ट्रेन के विभिन्न भागों को एक साथ संभाला जा सके।

कपलर के मुख्य उद्देश्य और फायदे निम्नलिखित हैं:

  1. कारों को जोड़ना और अलग करना: कपलर द्वारा ट्रेन के विभिन्न कारों को एक साथ जोड़ा जा सकता है और इन्हें अलग किया जा सकता है। यह लोगों और सामग्री को सुरक्षित और सुगमता से ट्रेन के साथ यात्रा करने में मदद करता है।
  2. संरक्षण: कपलर एक मजबूत और सुरक्षित जोड़ी प्रदान करता है जो ट्रेन के कारों को स्थिरता और सुरक्षा के साथ जोड़ता है।
  3. कारों के बीच ऊर्जा और डाटा का संचार: कपलर को इलेक्ट्रिक और डाटा कनेक्शन के लिए भी उपयोग किया जा सकता है, जिससे ट्रेन के विभिन्न भागों के बीच ऊर्जा और जानकारी का संचार संभव होता है।
  4. संचालन सुविधा: कपलर के माध्यम से ट्रेन के कारों को आसानी से जोड़ा और अलग किया जा सकता है, जो ट्रेन के व्यवस्थापक और ड्राइवर को संचालन में सुविधा प्रदान करता है।

कपलर ट्रेनों के संचालन में अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है और सुरक्षित, सुगम, और संचालन सुविधा प्रदान करता है।

बफर

बफर ट्रेनों पर महत्वपूर्ण घटक होते हैं जो मुख्य रूप से रेल कारों के बीच टकराव के दौरान गतिक ऊर्जा को शोषित करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं। यहाँ उनके कार्यों के बारे में और अधिक विस्तार से बताया गया है:

  1. टकराव की शोषण: बफर, जिन्हें बंपर या कपलर बफर्स भी कहा जाता है, कपलिंग या रेल कारों के बीच टकराव के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिक ऊर्जा को शोषित करने के लिए डिज़ाइन किए गए होते हैं। ये एक कुशन के रूप में कार्य करते हैं, टकराव के बल को कम करते हैं और रेल कारों और उनके माल को क्षति को कम करते हैं।
  2. सुरक्षा: बफर रेलवे के संचालन की सुरक्षा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। टकराव के दौरान ऊर्जा को शोषित करके, वे यात्रियों, क्रू और माल को बेहद कम होने वाले बल का ट्रांसफर प्राप्त होने से रोकते हैं, जिससे चोटों और दुर्घटनाओं का खतरा कम होता है।
  3. कपलर मेकेनिज्म: बफर्स को अक्सर रेल कारों के बीच कपलर मेकेनिज्म के साथ एकीकृत किया जाता है। ये कपलिंग के लिए संपर्क बिंदु प्रदान करते हैं, रेल कारों के बीच एक सुरक्षित संबंध सुनिश्चित करते हैं जबकि थोड़ी हटाव और लचीलापन भी संभव होता है।
  4. बफर डिज़ाइन: बफर्स आमतौर पर इस्पात या रबर जैसे टिकाऊ सामग्रियों से बनाए जाते हैं, जो अहम टकरावों को सहने और विभिन्न संचालन स्थितियों में विश्वसनीय प्रदर्शन प्रदान कर सकते हैं। वे भार के तहत चिकने या समापन होने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं |

पायलट

रेलवे के संदर्भ में, “पायलट” का मतलब क्षेत्र और रेलवे की शब्दावली के आधार पर विभिन्न हो सकता है। यहाँ कुछ संभावित अर्थ दिए गए हैं:

1. **गाय फास्टर/पायलट प्लेट**: कुछ क्षेत्रों में, विशेष रूप से ऐतिहासिक दृष्टि से, पायलट एक “गाय फास्टर” या “पायलट प्लेट” को संदर्भित कर सकता है जो लोकोमोटिव के सामने स्थित होता है। यह उपकरण ट्रैक से जानवरों या कचरे जैसी बाधाओं को हटाने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे रेलवे ट्रैक पर दुर्घटनाओं और लोकोमोटिव को नुकसान से बचाया जा सकता है।

2. **पायलट लोकोमोटिव**: कई लोकोमोटिवों के संगठन में, पायलट लोकोमोटिव ट्रेन के संगठन में पहले की लोकोमोटिव होती है। यह ट्रेन के चलन को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार होती है और अक्सर आवश्यक नियंत्रण और संचार प्रणालियों से लैस होती है।

3. **पायलट क्रू सदस्य**: कुछ रेलवे कार्यों में, पायलट एक क्रू सदस्य को भी संदर्भित कर सकता है जो विशेष ट्रैक के क्षेत्रों में ट्रेन का मार्गदर्शन करने के लिए जिम्मेदार होता है, विशेषतः उन क्षेत्रों में जो जटिल या जोखिमपूर्ण होते हैं। पायलट अतिरिक्त सुरक्षा और संचालन के ज्ञान का प्रदान करते हैं

ताकि सुगम और सुरक्षित ट्रेन कार्य की सुनिश्चित की जा सके। रेलवे के संदर्भ में “पायलट” का विशिष्ट अर्थ रेलवे प्रणाली, क्षेत्र और संचालन आवश्यकताओं पर आधारित हो सकता है।

हॉर्न

हॉर्न एक आवश्यक और महत्वपूर्ण उपकरण है जो रेलवे यातायात में उपयोग किया जाता है। यह उपकरण लोकोमोटिव द्वारा ट्रैन की सुरक्षा और संचालन को सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी होता है।

हॉर्न के कुछ मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं:

  1. सुरक्षा संकेत: हॉर्न का मुख्य उपयोग सुरक्षा संकेत के रूप में होता है। यह ट्रेन के आगे या पिछले भाग की उपस्थिति को संदेहजनक स्थितियों में अन्य रेल यात्रियों, रेलवे कर्मचारियों और निकटवर्ती जगहों को सूचित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
  2. ध्वनि संवेदनशीलता: हॉर्न ध्वनि के रूप में संचार का महत्वपूर्ण साधन होता है जो ट्रेन के चालक द्वारा दी जाती है। यह अन्य रेल यात्रियों को ट्रेन की पहचान करने में मदद करता है और आगामी जगहों की सूचना प्रदान करता है।
  3. संचालन: हॉर्न का उपयोग ट्रेन के चालक द्वारा संचालन को संदेशित करने के लिए भी किया जाता है। यह अन्य ट्रेनों और रेलवे कर्मचारियों को संचालन में आवश्यक सूचनाओं की प्राप्ति के लिए उपयोगी होता है।
  4. नियमितता: हॉर्न का उपयोग रेलवे के संचालनिक नियमों के अनुसार भी किया जाता है, जैसे की चालक को स्टेशन के पास या रेलवे स्थानों पर ध्वनि का उपयोग करना। यह संचालन में विनियमितता और सुरक्षा को सुनिश्चित करता है।

इस तरह, हॉर्न रेलवे यातायात में एक महत्वपूर्ण सुरक्षा और संचालन उपकरण होता है जो सुरक्षित और अनुकूल यात्रा की सुनिश्चित करता है।

रूफ

ट्रेन की “छत” या “रूफ” सामान्यतः यात्री या माल कोचों को ढ़ाने वाली शीर्ष संरचना को संदर्भित करती है। यह बर्फबारी, बारिश, और सूर्य के प्रकार जैसे मौसमी परिणामों से सुरक्षा प्रदान करती है। साथ ही, छत विभिन्न उपकरणों को भी आत्मसात करती है,

जैसे कि एयर कंडीशनिंग यूनिट्स, एंटीना, या वायवीय प्रणालियाँ, ट्रेन के प्रकार और उसके इच्छित उपयोग के आधार पर। छत की डिज़ाइन और सामग्री ट्रेन की कुल टिकाऊता, सुविधा, और कार्यक्षमता में योगदान करती है।

फनल

रेलवे के संदर्भ में, “फनल” आमतौर पर एक उपकरण को संदर्भित करता है जो भाप लोकोमोटिव्स में ईंधन को भराई या पानी को ताजगी से भरने के लिए प्रयुक्त होता है। यहाँ एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

  1. ईंधन भराई: भाप लोकोमोटिव्स में, एक फनल अक्सर ईंधन को भराने के लिए लोकोमोटिव के अंदर वायर बॉक्स में कोयला या लकड़ी डालने के लिए प्रयुक्त होता है। यह प्रक्रिया भाप दबाव को बनाए रखने और लोकोमोटिव को संचालित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
  2. पानी की ताजगी: कुछ भाप लोकोमोटिव्स को भाप उत्पन्न करने के लिए पानी की आवश्यकता होती है। एक फनल को लोकोमोटिव के पानी के टैंक को भरने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है, जो बॉयलर के लिए पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करता है।

फनलिंग कार्यों का भाप लोकोमोटिव्स के यात्राओं के दौरान संचालन को अभिक्षम और सतत बनाए रखने के लिए आवश्यक होता है। हालांकि आधुनिक डीजल और इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव्स को आमतौर पर ईंधन के लिए फनल की आवश्यकता नहीं होती है, भाप लोकोमोटिव्स इनकी संचालन में मुख्य रूप से इन पर निर्भर करते हैं।

वेंटीलेटर्स

“वेंटीलेटर्स” रेलगाड़ियों के संदर्भ में उन खिड़कियों या उपकरणों को संदर्भित करते हैं जो ट्रेन के कंपार्टमेंट्स की छत या दीवारों में स्थापित होते हैं ताकि हवा का वायुमंडलीयन और वेंटिलेशन को सुविधाजनक बनाया जा सके। यहाँ एक संक्षिप्त विवरण दिया गया है:

  1. हवा की धारा: वेंटीलेटर्स का डिज़ाइन ऐसा होता है जो ट्रेन के कंपार्टमेंट्स में ताजगी वाली हवा को दाखिल होने देता है जबकि फफूंदी, धूम्रपान या अन्य प्रदूषकों को बाहर निकालता है। यह हवा की धारा यात्रियों और क्रू सदस्यों के लिए ट्रेन के अंदर एक सुखद और स्वास्थ्यपूर्ण वातावरण बनाए रखने में मदद करती है।
  2. तापमान नियंत्रण: वेंटीलेटर्स गर्म मौसम के दौरान ट्रेन के कंपार्टमेंट्स के तापमान को नियंत्रित करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह गर्म हवा को बाहर निकालने और ठंडी हवा को दाखिल करने की अनुमति देते हैं, जिससे अधिक तापमान से बचा जा सकता है और यात्रियों की सुविधा सुनिश्चित की जा सकती है।
  3. निर्गत वेंटिलेशन: ताजगी वाली हवा प्रदान करने के अलावा, वेंटीलेटर्स कोष्ठियों में उत्पन्न धूम्रपान और बदबू को निकालने के लिए भी बाहरी बिंदु के रूप में प्रयोग में लाया जाता है, जैसे कि रसोई उपकरणों या शौचालय से। यह निर्गत वेंटिलेशन हवा की गुणवत्ता को बनाए रखने में मदद करता है और यात्रियों के लिए असुविधा को रोकता है।
  4. आपातकालीन वेंटिलेशन: आपातकालीन स्थितियों में भी वेंटिलेटर्स को आपात निकासी या वातावरण के बिंदु के रूप में प्रयोग किया जा सकता है, जैसे कि आग या धुआं के घटनाओं के मामले में। वे धुआं और गर्मी को निकालने का साधन प्रदान करते हैं, निकासी प्रक्रियाओं और सुरक्षा को सुधारते हैं।

डीजल इंजन

डीजल इंजन का काम करने के कुछ मुख्य कार्य हैं:

  1. प्रणाली के संचालन: डीजल इंजन रेलगाड़ियों, ट्रक्स, जेनरेटर्स, नौकाओं, और अन्य वाहनों में उपयोग किया जाता है। यह इंजन वाहन को संचालित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है।
  2. ऊर्जा उत्पादन: डीजल इंजन ईंधन के रूप में डीजल का उपयोग करता है और इसे धारक बैंक के रूप में इस्तेमाल करके प्रकार और समयांतर में उचित ऊर्जा उत्पादित करता है।
  3. संचार: डीजल इंजन संचार के लिए उपयोग किया जा सकता है, जैसे कि ट्रेनों या जेनरेटर्स के माध्यम से विद्युत उत्पादन करने के लिए।
  4. स्थायित्व और लंबी आवश्यकता: डीजल इंजन सामान्यतः पेट्रोल इंजनों की तुलना में अधिक स्थिरता और लंबी आवश्यकता प्रदान करते हैं, इसलिए यह अधिक दूर तक चलाया जा सकता है और अधिक भारी उत्पादन कर सकता है।

ये हैं कुछ मुख्य कार्य जो डीजल इंजन करता है।

रेडिएटर

“रेडिएटर” एक उपकरण है जो वाहनों जैसे कि गाड़ियों, ट्रक्स, और रेलगाड़ियों में इंजन के ऊर्जा प्रक्रिया को ठंडा करने में मदद करता है। इसका मुख्य कार्य है इंजन की उत्पादित ऊर्जा को शीतल करना।

रेडिएटर एक खिड़की के रूप में होता है, जो ठंडे पानी या एंटी-फ्रीज को उन्हें सिरे से पारित करता है जहां यह हवा द्वारा ऊर्जा का प्रक्रिया द्वारा हवा को गर्म और ठंडा करता है, जिससे वाहन के इंजन को शीतल रखने में मदद मिलती है। गर्म ऊर्जा को स्थिर करने के लिए रेडिएटर के साथ पास की गई भारी वायु होती है, जो इसे ठंडा करती है और इंजन को स्थिर रखती है।

रेडिएटर गर्म ऊर्जा को निकालता है और उसे ठंडा करता है ताकि इंजन को ठंडा और स्थिर रखा जा सके। यह वाहन के इंजन के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इंजन का अधिग्रहण हो सकता है जब तक कि वह ठंडा नहीं होता है, जिससे उसकी दूरी चलने वाली क्षमता प्रभावित हो सकती है।

ईंधन टैंक

“ईंधन टैंक” एक वाहन या मशीन के अंतर्गत ऊर्जा संचयन के लिए डिज़ाइन किया गया एक संरचना है। यह आमतौर पर ईंधन (जैसे कि पेट्रोल, डीज़ल, या कोयला) को संचित करता है जिसका उपयोग वाहन को चलाने के लिए किया जाता है। यह टैंक वाहन के अंदर या उसकी बॉडी के बाहर स्थापित होता है

और वाहन के डिज़ाइन और आवश्यकताओं के अनुसार अलग-अलग आकार और क्षमताओं में उपलब्ध होता है। ईंधन टैंक के उपयोग से वाहन लंबे समय तक संचालन किया जा सकता है बिना आवश्यकता के बार-बार ईंधन की भराई की।

बोगी

रेलगाड़ी के संदर्भ में, “बोगी” एक प्रमुख अंग होता है जो रेल वाहन की शरीर को इसके पहियों से जोड़ने और समर्थित करने के लिए पहियों, धुरीयों और सस्पेंशन का संयोजन करता है। यहाँ इसके कार्यों का विवरण है:

  1. पहियों का समर्थन: बोगी रेल वाहन का वजन उठाता है और इसे कई पहियों पर समान रूप से वितरित करता है। यह वजन वितरण ट्रैक्स पर स्थिर गति सुनिश्चित करता है।
  2. लचीलापन और स्थिरता: बोगी में सामान्यतः एक सस्पेंशन प्रणाली होती है जो इसे वक्र, स्विचेस, और अनियमित ट्रैक सतहों को सहने में मदद करती है। यह लचीलापन स्थिरता और यात्री की सुविधा को ट्रेन यात्रा के दौरान बनाए रखने में मदद करता है।
  3. फिरां और स्टीयरिंग: बोगी संकर्णिय और बेन्ड्स को सहजता से नेविगेट करने की अनुमति देती है जिससे ट्रैक्स पर अत्यधिक घिसाव का कारण नहीं होता।
  4. आकस्मिक शूल्क संशोधन: बोगी ट्रेन संचालन के दौरान उत्पन्न झटकों और दोलन को शूल्क करने में मदद करता है, यात्रा की गुणवत्ता को बढ़ाता है और रेल वाहन और बुनियादी संरचना पर पहियों की गुणवत्ता और किराया बचाता है।
  5. शरीर से जुड़ाव: बोगी को रेल वाहन के शरीर से एक परगोल या बोलस्टर के माध्यम से जोड़ा जाता है। यह शरीर के संबंध में चलने की अनुमति देता है और स्थिरता और संरच्चनात्मक अखंडता को बनाए रखने के साथ-साथ अधिक विकास यात्रियों की सुरक्षा में योगदान करता है।

ब्रेक

रेलगाड़ी के संदर्भ में, “ब्रेक” एक उपकरण है जो रेलगाड़ी वाहनों की गति को धीमा करने या रोकने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह रेलगाड़ी के संचालन के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। यहां उनके कार्यों का विवरण है:

  1. धीमा करना और रोकना: ब्रेक का मुख्य कार्य रेलगाड़ी को जब आवश्यक हो तो धीमा करना या रोकना होता है। यह रेलगाड़ी की गति को नियंत्रित करने के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर स्टेशन, सिग्नल्स के पास आते समय या आपात स्थितियों में।
  2. नियंत्रित धीमा: ब्रेक नियंत्रित धीमा को सुनिश्चित करने के लिए अनुमति देते हैं, जिससे रेलगाड़ी ब्रेक लगाने पर अचानक नहीं रुकती है, जो यात्रियों को कठिनाई या चोट का कारण नहीं बनता।
  3. सुरक्षा: ब्रेक एक महत्वपूर्ण सुरक्षा सुविधा है, जो संदर्भ में खतरों या अप्रत्याशित आवरोहणों पर रेलगाड़ी को रोकने या धीमा करने की सहायता करके संघर्षों, पटरियों और अन्य दुर्घटनाओं को रोकने में मदद करता है।
  4. ब्रेक के प्रकार: रेलगाड़ी में विभिन्न प्रकार के ब्रेक होते हैं, जैसे:
  • घर्षण ब्रेक: ये ब्रेक फ्रिक्शन का उपयोग करते हैं ताकि रेलगाड़ी को धीमा किया या रोका जा सके, अक्सर पहियों या पहियों पर दबाव लगाकर।
  • डायनामिक ब्रेक: डायनामिक ब्रेक लोकोमोटिव के ट्रैक्शन मोटर का उपयोग करते हैं जो इलेक्ट्रिकल प्रतिरोध उत्पन्न करके रेलगाड़ी को धीमा करते हैं, जिससे इसकी गति को इलेक्ट्रिकल ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है।
  • वायु ब्रेक: वायु ब्रेक रेलगाड़ी में आमतौर पर प्रयुक्त होते हैं और पहियों या पहियों पर ब्रेकिंग बल के लिए भारित वायु पर आश्रित होते हैं।

व्हील

“व्हील” रेलगाड़ी के एक प्रमुख घटक होता है, जो रेलगाड़ी को रेल्स पर स्थिर रखने और गति प्रदान करने का कार्य करता है। यह रेलगाड़ी के वाहनों की सभी संगतियों के संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है।

व्हील का काम निम्नलिखित है:

  1. रेल्स पर स्थिरता: व्हील रेल्स पर गहरे ग्रूव में बैठाया जाता है ताकि रेलगाड़ी को स्थिरता प्रदान कर सके। यह रेलगाड़ी को रेल्स पर स्थानांतरित करने में मदद करता है और उसकी गति को संचालित रखता है।
  2. गति प्रदान करना: व्हील रेलगाड़ी को अगले स्टेशन तक पहुंचाने में मदद करता है और उसकी गति को नियंत्रित रखता है।
  3. अवरोहण करना: व्हील रेलगाड़ी की अवरोहण में मदद करता है, जिससे यात्रियों को अधिक सुखद और स्थिर यात्रा का अनुभव हो।
  4. संधियों को उत्पन्न करना: व्हील रेलगाड़ी के वाहनों को रेल्स के संदर्भ में संबंधित करता है, जिससे रेलगाड़ी स्थानांतरित होती है और उसका संचालन किया जाता है।

समग्र रूप में, व्हील रेलगाड़ी के सुरक्षा और संचालन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, जो उसे रेल्स पर स्थिर रखता है और गति प्रदान करता है।

बोगी स्प्रिंग

“बोगी स्प्रिंग” रेलवे वाहनों में बोगी संयोजन का एक महत्वपूर्ण घटक होते हैं। ये स्प्रिंग्स बोगी को सस्तुति और अवशोषण विशेषताओं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जिससे यात्रियों की सुविधा और स्थिरता को यात्रा के दौरान सुनिश्चित किया जाता है। यहाँ उनके कार्यों का विवरण है:

  1. सस्तुति: बोगी स्प्रिंग्स रेलगाड़ी के वजन का समर्थन करते हैं और असमान ट्रैक्स पर यात्रा करते समय उत्पन्न झटकों और अविवर्तनों को अवशोषित करने के लिए एक अनुमान उपयुक्तता प्रदान करते हैं। वे रेल गाड़ी के शरीर को ट्रैक की कठिनाई से अलग करने में मदद करते हैं, जिससे यात्रियों की सुविधा को बढ़ाते हैं।
  2. अवशोषण: बोगी स्प्रिंग्स अवशोषण तत्वों के रूप में भी कार्य करते हैं, जो झटकों और विस्तारों द्वारा उत्पन्न ऊर्जा को अवशोषित करते हैं। इस ऊर्जा को अवशोषित करके, वे रेलगाड़ी के अत्यधिक झूलने या हिलने को रोकते हैं, जिससे यात्रा के लिए एक स्मूद अनुभव सुनिश्चित होता है।
  3. वजन वितरण: बोगी स्प्रिंग्स रेलगाड़ी के वजन को कई पहियों पर समान रूप से वितरित करते हैं, स्थिरता को बढ़ावा देते हैं और पटरी और अन्य घटकों पर पहियों का घिसाव कम करते हैं।

फुटबोर्ड

“Foot board” का अर्थ होता है रेलगाड़ी वाहनों में यात्रियों के पैर रखने के लिए एक स्थान या संरचना। यह एक सामान्यत: पैदल यात्रियों के लिए उपयोगी होता है, जिन्हें रेलगाड़ी के दौरान बैठते समय सायं विश्राम की आवश्यकता होती है।

रेलगाड़ी के फुटबोर्ड की मुख्य विशेषताएँ शामिल हो सकती हैं:

  1. सुरक्षा: फुटबोर्ड यात्रियों को रेलगाड़ी के साइड पर बैठने और उतरने में सहायता प्रदान करता है। यह उन्हें ध्यान में रखकर गति की अनुमति देता है ताकि उन्हें चलती रेलगाड़ी से न गिरा जाए।
  2. आराम: फुटबोर्ड यात्रियों को रेलगाड़ी के दौरान बैठते समय सायं विश्राम की सुविधा प्रदान करता है। यह उन्हें लंबे समय तक बैठते रहने में सहायक होता है जब वे एक लंबी यात्रा पर हैं।
  3. पहुंच: फुटबोर्ड यात्रियों को रेलगाड़ी में प्रवेश और बाहर निकलने की सुविधा प्रदान करता है। यह यात्रियों को सुरक्षित रूप से रेलगाड़ी में प्रवेश करने में मदद करता है।

यह रेलगाड़ी यात्रा के दौरान यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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