Battery In Hindi | बैटरी क्या होता है | Types Of Battery In Hindi

Battery In Hindi | बैटरी क्या होता है | Types Of Battery In Hindi | बैटरी के प्रकार एवं उपयोग

Battery In Hindi – आज के अपने इस पोस्ट में Hindi Battery / What is battery in Hindi के विषय में पूरी जानकरी देंगे , आज के समय में इलेक्ट्रिसिटी के डिसकनेक्ट होते ही सबसे पहले लोग यही बोलते है की इन्वेर्टर को आन करो , आप सभी को मालूम है की इन्वेर्टर के साथ बैटरी का इस्तेमाल होता है । बैटरी में ही एनर्जी को स्टोर किया जाता है । आज हम उसी बैटरी के विषय में जानेगे । बैटरी का उपयोग बहुत जगह किया जाता है , दिनचर्या से कार्य में इस्तेमाल होने वाले साधन से लेकर बड़े बड़े गाड़िया तक इसका इस्तेमाल किया जा रहा है ।

इलेक्ट्रिक बैटरी एक ऐसी डिवाइस होती है जो दो या दो से अधिक इलेक्ट्रो केमिकल सेल से मिलाकर बनी हो. आजकल विद्युत ऊर्जा का उपयोग लगभग हर जगह होता है। इसलिए विद्युत की आपूर्ति पावर ग्रिड के द्वारा की जाती है। लेकिन यह ग्रीन पावर हर समय हर जगह और हमेशा उपलब्ध नहीं रहती है। और कई उपकरण ऐसी होती हैं जिन्हें एसी सप्लाई की जरूरत नहीं होती है, उन्हें DC सप्लाई की जरूरत होती है। ऐसे में हमें ऐसे सोर्स की जरूरत पड़ती है जो इसकी आवश्यकताओं को पूर्ति कर सके । अतः इसके लिए हम बैटरी (Battery in Hindi) का इस्तेमाल करते है। 

What Is Battery In Hindi – Hindi Battery

बैटरी एक ऐसा उपकरण होता है जो 2 या 2 से अधिक रसायनिक सेल को सीरीज में जोड़ा जाये , इसको ही बैटरी कहते है । बैटरी रसायनिक ऊर्जा को विधुत ऊर्जा में बदल देता है । अच्छा अब आप ये सोच रहे होंगे की सेल ही बैटरी होता है , नहीं एक सेल से प्राप्त विधुत धारा बहुत ही कम होती है जबकि एक बैटरी से प्राप्त विधुत धारा उच्च होती है । जैसा कि हम सब जानते हैं बैटरी एक DC पावर सप्लाई का स्रोत है जिसकी मदद से हम कोई भी DC पावर सप्लाई से चलने वाला उपकरण चला सकते हैं.

अगर हमें बैटरी से AC सप्लाई से चलने वाले उपकरण को चलाना है तो इसके लिए हमें एक इनवर्टर लगाना पड़ता है जो कि बैटरी से आने वाली DC सप्लाई को AC सप्लाई में बदलेगा और इससे हम AC उपकरण को चला सकते हैं. बैटरी कई प्रकार की होती है लेकिन हम ज्यादातर है . लेड एसिड बैटरी का इस्तेमाल करते हैं हमारे घर के इनवर्टर पर इस्तेमाल होने वाली एक सामान्य बैटरी भी लेड एसिड बैटरी होती है.

बैटरी का आविष्कार किसने किया Battery Ka Avishkar Kisne Kiya –

विद्युत बैटरी का आविष्कार इटली के वैज्ञानिक अलेक्सन्द्रों वोल्टा ने किया था। इनके द्वारा बनाई गई पहली बैटरी नॉन रिचार्जेबल थी। इसे केवल एक ही बार इस्तेमाल किया जा सकता था। बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बैटरी नाम दिया था।

लेड एसिड बैटरीBattery In Hindi

लेड एसिड बैटरी का आविष्कार 1859 में फ्रेंच के एक वैज्ञानिक Gaston Planté ने किया था. जिसे रिचार्ज कर सकते थे. लेड एसिड बैटरी एक सेकेंडरी सेल टाइप की होती है. जिसे हम बार-बार इस्तेमाल करके रिचार्ज कर सकते हैं. इसीलिए इसका इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता है और इसका इस्तेमाल इलेक्ट्रिकल इंडस्ट्रीज से लेकर ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में भी किया जाता है. जितने भी वाहन होते हैं उनमें लेड एसिड बैटरी का इस्तेमाल किया जाता है.

लेड एसिड बैटरी के भाग

एक लेड एसिड बैटरी दिखने में आपको बिल्कुल साधारण दिखती है लेकिन यह कई कॉन्पोनेंट से मिलकर बनी होती है. नीचे आपको इसके सभी भागों के नाम बताए गए हैं जिन्हें मिलाकर एक लेड एसिड बैटरी बनाई जाती है.

  1. कंटेनर(Container)
  2. प्लेटे (Plates)
  3. इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte)
  4. सेपरेटर (Separator)
  5. सैल कवर ( Cell Cover )
  6. सैल कनेक्ट (Cell Connector)
  7. सीलिंग कंपाउंड (Scaling Compound)

कंटेनर(Container)

बैटरी के अंदर लगी प्लेटें सेपरेटर इलेक्ट्रोलाइट आदि को रखने के लिए एक कंटेनर का इस्तेमाल किया जाता है बैटरी के चारों तरफ का भाग बैटरी का कंटेनर होता है. कंटेनर का नीचे का भाग कुछ ऊपर उठा हुआ होता है इस उठे हुए भाग में प्लेटें फिट होती है और इस भाग को RIB कहते हैं.RIB मैं जो खाली स्थान रहता है उसे MUD Space कहते हैं. प्लेटो से अलग होने वाला क्रियाशील पदार्थ नीचे गिर कर इस MUD Space में इकट्ठा हो जाता है जिससे की प्लेटें आपस में शार्ट सर्किट नहीं होती.

प्लेटे (Plates)

बैटरी में दो प्रकार की प्लेटें लगाई जाती है पॉजिटिव प्लेट शीशे की जालीदार लेट होती है जिस पर रेड लेड पर ऑक्साइड (Red PbO2) की परत चढ़ी होती है जबकि नेगेटिव प्लेट पर लेड ऑक्साइड ( PbO2) की परत चढ़ी होती है दोनों प्लेटों को हल्के गंधक के अमल (Dil h2SO4 ) में रखा जाता है इन दोनों प्लेटों में से नेगेटिव प्लेट की संख्या पॉजिटिव प्लेट किस संख्या से 1 अधिक होती है. अगर 12 पॉजिटिव लेटे हैं तो वहां पर तेरा नेगेटिव प्लेटें होंगी.

इलेक्ट्रोलाइट (Electrolyte)

लेड एसिड बैटरी में इलेक्ट्रोलाइट के रूप में हल्के गंधक के तेजाब का इस्तेमाल किया जाता है. इलेक्ट्रोलाइट में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्लेटें डूबा कर रखी जाती है .और इलेक्ट्रोलाइट ही प्लेटों से रासायनिक क्रिया करा कर विद्युत पैदा करता है. इलेक्ट्रोलाइट सल्फ्यूरिक एसिड और शुद्ध पानी का मिश्रण होता है.

सेपरेटर (Separator)

जैसा की हमने बताया कंटेनर में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों प्लेटें इलेक्ट्रोलाइट के खून में डूबा कर रखी जाती है. इन दोनों प्लेटों को आपस में मिलने से बचाने के लिए किसी कुचालक पदार्थ का इस्तेमाल किया जाता है .जिसे Seprator कहते हैं. लकड़ी यासख्त रबड़ को बैटरी में Sepratorके रूप में इस्तेमाल किया जाता है.

सैल कनेक्ट (Cell Connector)

एक सामान्य लेड एसिड बैटरी में छह सेल होते हैं जिन्हें आपस में जोड़ने के लिए सेल कलेक्टर का इस्तेमाल किया जाता है. हर एक सेल 2 वोल्ट की सप्लाई देता है और सभी सेल को मिलाने के बाद में पूरी बैटरी 12 वोल्ट की सप्लाई देती है.

सीलिंग कंपाउंड (Scaling Compound)

बैटरी के कंटेनर को लीकेज प्रूफ बनाने के लिए इसमें कंपाउंड रबड़ को पिघलाकर कंटेनर के साथ में सेल कवर को सील बंद करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.

यह बैटरी के कुछ महत्वपूर्ण भाग होते हैं जिन्हें मिलाकर बैटरी बनाई जाती है. जैसा कि आप जानते हैं .लेड एसिड बैटरी रिचार्जेबल होती है जिसे हम बार-बार चार्ज कर सकते हैं .लेकिन हर एक बैटरी एक जैसे ही चार्ज नहीं की जाती बैटरी को चार्ज करने के कुछ तरीके होते हैं. जिसके बारे में नीचे आप को विस्तार पूर्वक बताया गया है.

पहली चार्जिंग : जब बैटरी को बनाया जाता है तो बैटरी को बनने के तुरंत बाद जो चार्जिंग की जाती है उसे पहली चार्जिंग कहते हैं. इस चार्जिंग में बैटरी को कम करंट देकर चार्ज किया जाता है जिससे बैटरी धीरे धीरे चार्ज होती है.

साधारण चार्जिंग : पहली चार्जिंग करने के बाद में अगर बैटरी में किसी प्रकार की कोई भी ख़राबी नहीं आती तो फिर उसे साधारण चार्जिंग दर से चार्ज किया जाता है और ज्यादातर बैटरियां इसी प्रकार चार्ज होती है.

बूस्टिंग चार्जिंग : जब किसी बैटरी की आवश्यकता शीघ्रता से हो तो उससे बूस्टिंग चार्जिंग द्वारा चार्ज किया जाता है इसमें बैटरी को ज्यादा करंट देकर जल्दी चार्ज किया जाता है. मान लो अगर आप के घर में बिजली कम समय के लिए आती है और आपको इनवर्टर की बैटरी जल्दी चार्ज करनी हो ताकि कम समय में चार्ज हो कर वह लंबे समय तक चल सके. तो इसके लिए बूस्टिंग चार्जिंग की आवश्यकता होती है जो कि बैटरी को बहुत जल्दी चार्ज कर देता है.

ट्रिकल चार्जिंग : ट्रिकल चार्जिंग में बैटरी को कम कर्रेंट देकर चार्जिंग किया जाता है. अगर आपके घर में बिजली सारा दिन रहती है सिर्फ कुछ समय के लिए ही जाती है तो इसके लिए आप के इनवर्टर की बैटरी को बहुत धीरे धीरे चार्ज किया जाता है ताकि आपकी बैटरी खराब ना हो. ट्रिकल चार्जिंग में बैटरी को इतना कम कर दिया जाता है कि इसमें से किसी प्रकार की कोई भी गैस नहीं निकलती. इस प्रकार की चार्जिंग का इस्तेमाल ऐसी जगह पर किया जाता है जहां पर बिजली कुछ समय के लिए ही जाती है.

Battery In Hindi | बैटरी क्या होता है | Types Of Battery In Hindi
Battery In Hindi

बैटरी के प्रकार (Types of Battery in Hindi)

बैटरी मुख्यता दो प्रकार के होते हैं।

1. Primary battery

2. Secondary battery 

प्राइमरी बैटरी (primary battery)Battery In Hindi

जिस जगह पर कम पावर की जरूरत होती है उस जगह पर Primary Battery (प्राइमरी बैटरी) का इस्तेमाल किया जाता है । जैसे की टीवी का रिमोट , घड़ी ,ACके रिमोट में भी , इनका इस्तेमाल बहुत सरे जगह होता है , इस तरह के बैटरी को सेल भी कहा जाता है । इनका आकर इनके इस्तेमाल होने वाले जगह के अनुसार होता है ।

प्राइमरी बैटरी के प्रकार
1-Alkaline & Carbon Battery
2-Lithium battery
3-Mercury battery
4-Silver Oxide battery
5-Zinc Air battery

प्राइमरी बैटरी के फायदे 

प्राइमरी बैटरी के फायदे मुख्य रूप इनके कीमत जो की बहुत कम होते है , साथ ही इनके अंदर स्टोर हुआ एनर्जी बहुत दिन तक बिना इस्तेमाल के भी स्टोर रहते है । इस तरह के बैटरी का नुकसान ये होता है की एक बार डिस्चार्ज होने के बाद आप इसको चार्ज नहीं कर सकते है , उस समय इसको फेकना ही पड़ता है ।

सेकंडरी बैटरी (secondary battery)Battery In Hindi

इस प्रकार की बैटरी का इस्तेमाल हम दुबारा कर सकते है। इस प्रकार की बैटरी में डिस्चार्ज होने के लिए जो रासायनिक प्रक्रिया होती है, उससे उलटी प्रक्रिया चार्ज होने में होती है।

इसीलिए डिस्चाज हो ने बाद इसे फिरसे चार्ज करके उपयोग किया जा सकता है। ये यूज़ एंड थ्रो नहीं है। इसकी आयु तक हम रिचार्ज करके इस्तेमाल कर सकते है।

रिचार्जेबल बैटरी अलग-अलग साइज में उपलब्ध है। इस प्रकार की बैटरी में शरुआती कीमत ज्यादा होती है। पर उसकी लाइफ और उपयोग को देखा जाये तो ये बेहतर साबित होती है।

इस प्रकार की बैटरी को चार्ज करने के लिए चार्जर का इस्तेमाल होता है। अचल वोल्टेज या फिर करंट का सेटिंग करके चार्जिंग किया जा सकता है।

सेकेंडरी बैटरी के प्रकार Battery In Hindi
1-Lead Acid Gel
2-Lithium-ion (Li-ion)
3-Nickel-Cadmium (Ni-Cd)
4-Nickel Metal Hydride

इस पोस्ट में आपको Battery In Hindi बैटरी कितने प्रकार के होते हैं बैटरी किसे कहते है बैटरी अम्ल क्या है लेड एसिड बैटरी सेल (बैटरी) बैटरी के प्रकार बैटरी का चार्जर से संबंधित पूरी जानकारी देने की कोशिश की है. अगर यह जानकारी आपको फायदेमंद लगे तो इसे शेयर जरूर करें और अगर इसके बारे में आपका कोई भी सवाल या सुझाव हो तो नीचे कमेंट करें.

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